articoli consigliati
- Interbrand top-100, Huawei div…
- Diamante Recruitment Company n…
- Che cosa è Social Media e sit…
- Nuovo Gator mamma Blog Ricette…
- Stabbing coltelli nubile rotte…
- Mondiale della Croce rossa e d…
- La conoscenza di casi di telef…
- PE Tubi ?? Qualità e vantaggi…
- Goon attacca negoziante con un…
- 9 ° Annual Calling All Maschi…
- Tradizioni matrimoniali Gujara…
- Il dovere nobile delle organiz…
- Concedetevi Epsom sale dal Can…
- chaussure nike tn requin 2015 …
- Chhattisgarh Hindi Notizie Sot…
Categoria
- marketing di affiliazione
- arti mestieri
- settore automobilistico
- recensioni di libri
- attività commerciale
- carriera
- comunicazioni
- computer
- educazione
- divertimento
- ambiente
- finanza
- cibo bevanda
- gioco
- medico salute
- casa di famiglia
- Internet eBusiness
- bambini adolescenti
- le lingue
- legale
- marketing
- musica
- animali domestici animali
- immobiliare
- relazioni
- auto-miglioramento
- recensioni Carrello
- cronache mondane
- software
- spiritualità
- ricreazione sport
- tecnologia
- viaggiare
- interessi delle donne
- la scrittura che parla
- altrui
सत्यकाशी - एक विचार कां व्यापार da Kalki Avatar
जहाँ भी, कुछ भी आदान-प्रदान हो रहा हो, वह सब व्यापार के ही अधीन है. व्यक्ति का जितना बड़ा ज्ञान क्षेत्र होता है ठीक उतना ही बड़ा उसका संसार होता है. फलस्वरूप उस ज्ञान क्षेत्र पर आधारित व्यापार का संचालन करता है इसलिए ही ज्ञान क्षेत्र को विस्तार के लिए सदैव प्रयत्नशील रहना चाहिए. प्रत्येक व्यक्ति ही व्यापारी है और वही दूसरे के लिए ग्राहक भी है. यदि व्यक्ति आपस में आदान-प्रदान कर व्यापार कर रहें हैं तो इस संसार-ब्रह्माण्ड में ईश्वर का व्यापार चल रहा है और सभी वस्तुएँ उनके उत्पाद है. उन सब वस्तुओं का आदान-प्रदान हो रहा है जिसके व्यापारी स्वयं ईश्वर है, ये सत्य-सिद्धान्त है. शिक्षा क्षेत्र का यह दुर्भाग्य है कि जीवन से जुड़ा इतना महत्वपूर्ण विषय "व्यापार", को हम एक अनिवार्य विषय के रूप में पाठ्यक्रम में शामिल नहीं कर सकें. इसकी कमी का अनुभव उस समय होता है जब कोई विद्यार्थी 10 वीं या 12 वीं तक की शिक्षा के उपरान्त किसी कारणवश, आगे की शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाता. फिर उस विद्यार्थी द्वारा पढ़े गये विज्ञान व गणित के वे कठिन सूत्र उसके जीवन में अनुपयोगी लगने लगते है. यदि वहीं वह व्यापार के ज्ञान से युक्त होता तो शायद वह जीवकोपार्जन का कोई मार्ग सुगमता से खोजने में सक्षम होता. प्रत्येक व्यापार के जन्म होने का कारण एक विचार होता है. पहले विचार की उत्पत्ति होती है फिर उस पर आधारित व्यापार का विकास होता है. किसी विचार पर आधारित होकर आदान-प्रदान का नेतृत्वकर्ता व्यापारी और आदान-प्रदान में शामिल होने वाला ग्राहक होता है. "रामायण", "महाभारत", "रामचरित मानस" इत्यादि किसी विचार पर आधारित होकर ही लिखी गई है. . यह वाल्मिीकि, महर्षि व्यास और गोस्वामी तुलसीदास का त्याग है तो अन्य के लिए यह व्यापार का अवसर बना सत्यकाशी भी एक विचार है. मात्र इस विचार से मानव समाज का कितना बड़ा लाभ हो सकता है, यह चिन्तन का विषय है. कोई भी धार्मिक स्थल जैसे वैष्णों देवी, चित्रकूट, शिरडी, मथुरा, वृन्दावन, वाराणसी इत्यादि किसी विचार पर ही विकसित हुए और जिस विचार से वे विकसित हुए उस स्थान पर उस नाम का प्रयोग ही प्रमुख है क्योंकि उस नाम के कारण ही व्यक्ति वहाँ पहुँचते हैं. उस नाम को सदैव आगे रखना ही वहाँ का सारा रहस्य है और उसी में वहाँ का कल्याण है. उस नाम के आगे वहीं के किसी व्यक्ति के माता-पिता का नाम अंश मात्र होता है. होना भी यही चाहिए माता-पिता व्यक्तिगत श्रद्धा के पात्र हैं. जब समाज का विकास करना हो तब नाम भी सामाजिक ही होना चाहिए या ऐसे व्यक्ति के नाम पर होना चाहिए जिनका समाज के लिए योगदान रहा हो. क्योंकि उस नाम पर ही व्यक्ति उस स्थान की यात्रा करता है. इसे ऐसे समझा जाये कि ऐसे व्यक्ति जिनका लक्ष्य धन रहा था वे अपने धन के बल पर अपनी मूर्ति अपने घर पर ही लगा सकते हैं परन्तु जिनका लक्ष्य धन नहीं था, उनका समाज ने उन्हें, उनके रहते या उनके जाने के बाद अनेकों प्रकार से सम्मान दिया है ये सार्वजनिक प्रमाणित है. जब एक स्थान पर व्यापारी बैठकर अपने ग्राहक को वस्तु उपलब्ध कराता है तो उसे दुकान तथा जब व्यापारी अपने स्थान से ही एक विशेष क्षेत्र को उपलब्ध कराता है तो उसे व्यापार कहते हैं. सत्यकाशी, एक विचार का व्यापार है इसे उसी प्रकार किया जा रहा है जिस प्रकार एक कम्पनी का प्रबन्ध और मार्केटिंग की जाती है. आम जनता से जुड़ा हुआ जब कोई व्यापार होता है तब कम्पनी एक निर्धारित धन विज्ञापन व प्रचार-प्रसार में खर्च करती है. जो पम्फलेट, पोस्टर, बैनर, पत्रिका, समाचार-पत्र, प्रदर्शन, पुस्तिका इत्यादि के रूप में होती है. सत्यकाशी के प्रचार-प्रसार में भी समय-समय पर इनका प्रयोग सदैव होता रहा है और होता ही रहेगा. जो सत्यकाशी के प्रचार-प्रसार के अन्तर्गत विज्ञापन खर्च का ही हिस्सा है. क्या आप अपने दुकान या आॅफिस में केवल उसी को चाय-पान कराते हैं जो आपका ग्राहक होता है या अन्य को भी? ये अन्य ही आपका कल का ग्राहक होता है. ये है व्यापार. ज्ञान के वर्तमान और उसी ओर बढ़ते युग में व्यापार के तरीके भी बदल रहें हैं. ऐसी स्थिति में स्वयं को भी बदलते हुये अपने ज्ञान को बढ़ाना होगा अन्यथा प्रतियोगिता भरे जीवन के संघर्ष में पिछे रह जाने के सिवा कोई रास्ता नहीं होगा. वर्तमान समय में गाँवो तक भी कम्प्यूटर व इन्टरनेट की पहुँच तेजी से बढ़ रही है. कम्प्यूटर व इन्टरनेट केवल चला लेना ही ज्ञान नहीं है. चलाना तो कला है. कला को व्यापार में बदल देना ही सत्य में ज्ञान-बुद्धि है. हम कम्प्यूटर व इन्टरनेट से किस प्रकार व्यापार कर सकते हैं, इस पर अध्ययन-चिंतन-मनन करना आवश्यक है. इस सम्बन्ध में भारत रत्न एवं पूर्व राष्ट्रपति श्री ए.पी.जे.अब्दुल कलाम का कथन पूर्ण सत्य है कि- "नवीनता के द्वारा ही ज्ञान को धन में बदला जा सकता है". शास्त्र और शास्त्राकार, जिस भूमि क्षेत्र से व्यक्त होगा वह निश्चित रूप से ऐतिहासिक और पौराणिक स्तर का होगा और न भी होगा तो वह उस योग्य हो जायेगा. आज तक हम सभी जिन धार्मिक-ऐतिहासिक स्थलों को जानते हैं सबके पीछे कोई न कोई कथा-कहानी अवश्य है. धन्य है वह क्रान्तियों की बिहार की भूमि जिसके बेगूसराय जनपद की रिफाइनरी टाउनशिप अस्पताल ने इस "विश्वशास्त्र" के रचनाकार को जन्म दिया, और धन्य है वह काशी (वाराणसी) के दक्षिण गंगा उस पार के सत्यकाशी क्षेत्र की भूमि, जो उस रचनाकार का निवास स्थल और कर्मक्षेत्र बना. सत्यकाशी क्षेत्र के पीछे भी सशक्त आधार वाली सत्य कथा-कहानी जुड़ चुकी है. ऐसे सशक्त कथा-कहानी वाले क्षेत्र के निवासी अगर इसका लाभ न उठा सके तो उस क्षेत्र का बौद्धिक स्तर क्या होगा और फिर किस बात के लिए वह विकसित क्षेत्र होगा? स्थिति तो यह हो गयी है कि शास्त्राकार का शरीर रहे या न रहे, शास्त्र जहाँ-जहाँ तक पहुँचेगा, वहाँ-वहाँ तक षास्त्राकार और सत्यकाशी सहित उससे जुड़े व्यक्ति व स्थान भी पहुँचेगें. जिस प्रकार हम प्राकृतिक शक्तियों वर्षा, भूकम्प, आँधी इत्यादि के सामने विवश हैं उसी प्रकार हम सभी इस शास्त्र के सामने विवश है. एकीकरण की ओर बढ़ते विश्व के सामने यह शास्त्र दीवार की भाँति खड़ी है. बिना इसे पार किये किसी भी सकारात्मक स्थायी योजना का निर्माण असम्भव है. एक तरफ सम्पूर्ण विश्व है दूसरी तरफ यह ग्रह रूपी "विश्वशास्त्र". इस टक्कर और उसके सकारात्मक विचार रूपी प्रकाश की हम सभी को प्रतीक्षा है यह सौभाग्य है. ऐसा कार्य पारम्परिक न होकर युगों में एक बार होता है इसलिए समझनें में देर लगती है. सत्यकाशी, एक विचार है जिसमें व्यापार के अनेक अवसर है. इसका लाभ उठाने के लिए आप सभी आमंत्रित हैं.
हम इन्तजार करेंगे, तेरे देश से हर उम्मीद टूटने तक.खुदा करें, तेरी हर उम्मीद टूटे और तू मेरी ओर आये.
cronache mondane
- folla fondo era da Sumit Thorat
- Tradizioni matrimoniali Gujarati di Matchfinder Bm
- Lions Club: Un boato che si sente a livello internazionale da Pooja Poojasab
- Dibattito repubblicano 2015 Diretta da Thunder V.
- Trovare e Marry quella fatta per Voi in Shaadisaath da Rosy Hyden
- 6 Strumenti necessari per lanciare un Indie artista carriera Robbe Hardnette da …
- Half-Zip running shirt da donna rappresenta una confortevole opzione per Voi da …
- Alcuni consigli utili per pubblicare gli annunci su siti classificati gratis via…
- I vantaggi di avere un passaporto da Keshav Soni
- Rolls Royce Probe Notizie da Anupam Kumar
- 4 Unorthodox costruire il muscolo Suggerimenti da Tibby odell
- Casual montati sul Manager Min Leung
- ConcertBank portavoce Dice biglietti Bully concerti, scarseggiano da PRC Agency
- Daash giustiziato 300 persone, tra cui decine di medici di Mosul di Allen Smith
- Kanye West Air in vendita per $ 60.000: oggi nell'informazione economica strano …